भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि येस बैंक के पुनर्गठन के लिए रिजर्व बैंक ने भारत सरकार के साथ तालमेल करके तेजी से कार्रवाई की है। आज मुम्बई में एक विशेष प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने येस बैंक के पुनर्गठन की योजना और कोरोना वायरस से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि येस बैंक में रखा जमाकर्ताओं का पैसा पूरी तरह सुरक्षित है। बैंक के पुनर्गठन की योजना का ब्यौरा देते हुए उन्होंने कहा कि येस बैंक में जमा राशि को लेकर अनावश्यक चिंता करने या जल्दबाजी में पैसा निकालने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली पूरी तरह मजबूत और सुरक्षित है। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि नए कार्यक्रम के अनुसार येस बैंक के खातों से पैसा निकालने पर लगी रोक बुधवार को हटा ली जाएगी और 26 मार्च को बैंक का नया बोर्ड कार्यभार संभाल लेगा। श्री दास ने यह भी कहा कि येस बैंक को पुनर्जीवित करने की भरोसेमंद और टिकाऊ योजना में यह सुनिश्चित किया गया है कि बैंक की पहचान कायम रहे।
श्री दास ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो रिजर्व बैंक येस बैंक को आवश्यक सहायता देगा। उन्होंने बताया कि बाजार में तरलता लाने के लिए रिजर्व बैंक का अगले छह महीने में अमरीकी डॉलर की खरीद-फरोख्त का प्रस्ताव है।
कोविड-19 के प्रकोप का जिक्र करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि महामारी के दूसरे चरण से घरेलू अर्थव्यवस्था पर कुछ असर पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पर्यटन, आतिथ्य और एयरलाइन्स जैसे क्षेत्रों पर कोविड-19 के प्रकोप का असर दिख रहा है। श्री दास ने कहा कि भारत इस महामारी के असर से अछूता नहीं है, लेकिन फिलहाल घरेलू तरलता-स्थिति अनुकूल है। रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि इस वायरस के प्रकोप को देखते हुए नीतिगत निर्णयों को सूझबूझ से करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने को कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक के पास कई नीतिगत उपाय हैं, जिनका इस्तेमाल वह उचित समय आने पर करेगा। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक यह सुनिश्चित करने के प्रयास कर रहा है कि उसकी नीतिगत कार्रवाई में कोई जल्दबाजी या विलम्ब न हो।
भारतीय रिजर्व बैंक ने आज सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कहा कि भारत में कोराना वायरस से होने वाली बीमारी के प्रसार से उत्पन्न संभावित खतरे को देखते हुए वे अपने वित्तीय स्थिति विवरण, परिसंपत्ति गुणवत्ता, तरलता समेत अन्य पहलुओं पर होने वाले प्रभाव का आकलन करें। आरबीआई ने बैंकों, शहरी सहकारी बैंकों, गैर वित्तीय संस्थानों और पेमेंट और स्मॉल फाइनेंस बैंकों को संबोधित अधिसूचना में यह निर्देश दिया। अधिसूचना में कहा गया है कि देश में इस बीमारी के कई मामलों की पुष्टि हुई है जिसके चलते उभरती स्थिति से जूझने की समायोजित रणनीति बनानी जरूरी है ताकि भारतीय वित्तीय प्रणाली की मजबूती बनी रहे।
आरबीआई ने वित्तीय संस्थानों को कहा है कि जहां तक हो सके वे अपने उपभोक्ताओं को डिजिटल बैंकिंग सुविधाओं का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें। आरबीआई ने उन्हें कहा कि भारत में कोविड-19 के प्रसार से संभावित खतरों और इस बीमारी के अर्थव्यवस्था पर पडने वाले प्रभाव से जूझने के लिए त्वरित रूप से उचित उपाय लागू करे। शीर्ष बैंक ने कहा कि व्यावपारिक और सामाजिक दोनों पहलुओं का गंभीरता से आकलन करने के लिए एक त्वरित कार्रवाई बल का गठन किया जा सकता है।